किसान किसी के सामने हाथ न फैलाएं, यह केंद्र व राज्य सरकार का उद्देश्यः सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद किसानों के नाम पर राजनीति बहुत लोगों ने की, लेकिन किसान राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बन सके, 2014 में ईमानदारी से यह प्रयास पीएम मोदी ने किया। पीएम मोदी ने मृदा परीक्षण कार्ड जारी किया। पीएम कृषि बीमा योजना, पीएम कृषि सिंचाई जैसी योजनाएं चलाई गईं। यूपी में सात वर्ष में 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा देकर किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाया गया। 2021 में पीएम ने बुंदेलखंड में अर्जुन सहायक परियोजना का लोकार्पण किया। इसके पहले यहां के किसानों को प्रति बीघा पांच हजार रुपये सालाना मिलता था, लेकिन लोकार्पण के दो वर्ष बाद वहां के किसानों ने बताया कि उन लोगों ने उन्हीं क्षेत्रों में प्रति बीघा 50 हजार रुपये की आमदनी की। पीएम कुसुम योजना के तहत एक लाख किसान को सोलर पैनल देने का कार्य निरंतर प्रगति पर है। 14 लाख से अधिक किसानों के निजी ट्यूबवेल की बिजली माफ की गई। यूपी में 2017 में सरकार आते ही 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ किया गया। पीएम मोदी के नेतृत्व में किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिला। अन्नदाता किसानों को हाथ न फैलाना पड़े। इस उद्देश्य से देश में 12 करोड़ और यूपी में 2.62 करोड़ कृषकों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने एक समाचार पत्र समूह की तरफ से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘कृषिका- खेती से समृद्धि की ओर’ कार्यक्रम में सोमवार को अपनी बातें रखीं। सीएम ने समाचार पत्र के रचनात्मक कार्यक्रमों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने 11 किसानों को चेक, अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न प्रदान किया।

… अकेले यूपी भर सकता है देश-दुनिया का पेट
सीएम योगी ने कहा कि भारत पहले से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का देश माना जाता था। उत्तर प्रदेश में आज भी लगभग 30 फीसदी शहरीकरणों को छोड़ दें तो 70 फीसदी भूभाग ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित है और यह आय-रोजगार का महत्वपूर्ण साधन भी है। देश की 17 फीसदी आबादी यूपी में निवास करती है। यूपी के पास देश की कृषि योग्य भूमि केवल 11 फीसदी है, लेकिन इस पर देश का 20 फीसदी से अधिक खाद्यान्न उत्पादन होता है। यूपी में 235 लाख हेक्टेयर में से 161 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती-किसानी होती है। इसमें से 86 फीसदी भूमि सिंचित व अत्यंत उर्वरा है, इसलिए 11 फीसदी भूमि होने के बावजूद उप्र का किसान लगभग दोगुना खाद्यान्न उत्पादन करता है। देश और दुनिया की जितनी फर्टिलाइज लैंड, जल संसाधन यूपी के पास है, वह अन्य कहीं भी नहीं है। अगर अन्नदाता किसानों के प्रोत्साहन के लिए थोड़ा सा कार्य कर लें, उन्हें तकनीक से जोड़ लें। समय पर अच्छे बीज उपलब्ध हो जाएं तो 20 फीसदी से तीन गुना अधिक खाद्यान्न उत्पादन का सामर्थ्य यूपी का किसान रखता है और अकेले यूपी देश-दुनिया का पेट भर सकता है।

अब एक सप्ताह के भीतर गन्ना किसानों को होता है भुगतान
सीएम ने कहा कि प्रदेश के अंदर सिंचाई के दायरे को बढ़ाया गया। यूपी में 3500 से अधिक एफपीओ कार्य कर रहे हैं। वेयरहाउस बनाए गए और उनकी संख्या बढ़ाई गई। पहले गन्ने के सीजन में किसान आंदोलन करता था। अब यूपी में 120 चीनी मिलें चल रही हैं। इसमें से 100 मिलें एक सप्ताह के अंदर भुगतान कर रही हैं। आज यूपी गन्ना, चीनी व एथेनॉल उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। देश का 25 फीसदी आलू उत्पादन और 30 फीसदी मक्का उत्पादन यूपी का किसान कर रहा है। धान, गेहूं, दलहन-तिलहन में भी किसानों ने कीर्तिमान स्थापित किया है। अन्नदाता किसानों की मेहनत व डबल इंजन सरकार के प्रयास से यूपी फिर से खाद्यान्न की टोकरी के रूप में गौरव प्राप्त कर रहा है।

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