नई दिल्ली। 18 फरवरी 2025 को, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नौ साल पूरे हो गए हैं। जो भारत के किसानों को सशक्त बनाने के प्रयासों के क़रीब एक दशक का जश्न मनाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में शुरू की गई यह योजना, अप्रत्याशित प्राकृतिक खतरों के कारण होने वाले फसल नुकसान के लिए एक व्यापक ढाल प्रदान करती है। यह सुरक्षा न केवल किसानों की आय को स्थिर बनाती है, बल्कि उन्हें नई पद्धतियों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।
किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए फसल बीमा, जोखिम को कम करने का एक अहम उपाय है। इसका मकसद ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, चक्रवात, भारी और बेमौसम बारिश, बीमारी और कीटों के हमले आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हुई फसल हानि/क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
योजना की सफलता और क्षमता को देखते हुए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2025 में 69,515.71 करोड़ रुपए के कुल बजट के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी।
पिछले नौ सालों में, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) ने, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसल के नुकसान के प्रति व्यापक सुरक्षा प्रदान करके, भारतीय कृषि के स्वरूप को बदल दिया है। उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, इस योजना ने फसल के हानि मूल्यांकन और दावा निपटारे में पारदर्शिता, सटीकता और दक्षता में सुधार किया है। किफायती प्रीमियम और व्यापक जोखिम कवरेज के साथ – उपज हानि, फसल के बाद के नुकसान और स्थानीय आपदाओं सहित – यह योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता प्रणाली बन गई है, जो समय पर मुआवजा सुनिश्चित करती है और उनकी आय को स्थिर करती है।