गुरुग्राम। भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के अंतर्गत विदेश मंत्रालय के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित भूमि प्रशासन पर छह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आज हरियाणा के गुरुग्राम में हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (एचआईपीए) में संपन्न हुई। कार्यशाला में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों ने भूमि प्रशासन पर केंद्रित विस्तृत चर्चा और व्यावहारिक सत्रों में भाग लिया, जिसमें प्रतिनिधियों ने पंचायती राज मंत्रालय के तत्वावधान में अपने-अपने देशों में इसी तरह की कार्यशालाओं के आयोजन का सुझाव दिया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भूमि प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए नवीन समाधानों की खोज की गई और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य किया गया। इसमें भारत ने स्वामित्व योजना के अंतर्गत ड्रोन-आधारित भूमि सर्वेक्षण, डिजिटल संपत्ति रिकॉर्ड और पारदर्शी शासन व्यवस्था में अपनी तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने एचआईपीए में समापन भाषण में भूमि प्रशासन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूमि प्रशासन में सर्वोत्तम अभ्यास, जैसे कि स्वामित्व योजना, दुनिया भर में बेहतर नीति निर्माण में कैसे सहायता कर सकती है। उन्होंने दक्षिण-दक्षिण सहयोग में भारत का विश्वास व्यक्त करते हुए साझेदार देशों के लाभ के लिए अपनी तकनीकी प्रगति को साझा करने के लिए देश की तत्परता व्यक्त की। भारद्वाज ने भाग लेने वाले देशों से प्रतिक्रिया और सुझाव लेते हुए कहा कि कार्यशाला का लक्ष्य वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहन देना और स्वामित्व योजना के परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रदर्शित करते हुए आपसी सीख की सुविधा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भूमि प्रशासन में तकनीकी प्रगति का लाभ व्यापक रूप से वैश्विक समुदाय तक पहुंचे। पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर और एचआईपीए के महानिदेशक रमेश चंद्र बिधान भी समापन सत्र में उपस्थित थे।