नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने नई दिल्ली में जमीनी स्तर पर स्वरोजगार के माध्यम से आजीविका संवर्धन पर ज्ञान साझा करने का सत्र आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 10 अफ्रीकी देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 35 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिससे सहयोग और सीखने का एक जीवंत माहौल बना। सत्र का संचालन राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (एनआईएलईआरडी) द्वारा किया गया।
सत्र की शुरुआत ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव स्मृति शरण के स्वागत भाषण से हुई। शरण ने प्रतिभागियों का अभिवादन ज़ुलु भाषा में “सौबोना” शब्द से किया। इसका अर्थ है “मैं आपको देख रही हूँ” और यह गरिमा और मूल्य की गहरी पहचान का प्रतीक है, जिसने प्रशिक्षण सत्र के लिए माहौल तैयार किया। उन्होंने दोनों क्षेत्रों के साझा इतिहास और मूल्यों के बारे में बात की और ग्रामीण समृद्धि के प्रयास में सहयोग के महत्व के बारे में बताया।
दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत विषयगत टीमों ने व्यावहारिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। कृषि आजीविका, गैर-कृषि आजीविका, वित्तीय समावेशन, सामाजिक समावेशन, खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वाश (एफएनएचडब्ल्यू), संस्था निर्माण और क्षमता निर्माण (आईबीसीबी), और लिंग जैसे विषयों के बारे में बताया गया, ताकि मिशन के व्यापक दृष्टिकोण का अवलोकन प्रदान किया जा सके।
प्रतिभागियों ने सत्र को बेहद फायदेमंद बताते हुए प्रशंसा व्यक्त की और अपने-अपने देशों में इन सीखों को लागू करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वे यह देखकर आश्चर्यचकित हैं कि भारत के ग्रामीण विकास का इतिहास महिलाओं द्वारा कैसे लिखा जा रहा है, जो बाकी दुनिया के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की निदेशक राजेश्वरी एस.एम. ने अपने समापन भाषण में ग्रामीण आजीविका कार्यक्रमों में विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में इसकी सफलता के बारे में बताया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय की निदेशक डॉ. मोलिश्री ग्रामीण विकास मंत्रालय की उप सचिव डॉ. मोनिका, आलोक जवाहर, रमन वाधवा, डीएवाई-एनआरएलएम के विभिन्न विषयगत प्रमुख, एनआईएलईआरडी के संकाय सदस्य भी उपस्थित थे।