नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने को मंजूरी दे दी है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकार वार्ता में बताया कि जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी।
कैबिनेट की बैठक में शिलॉन्ग से सिलचर (मेघालय-असम) हाईस्पीड कॉरिडोर बनाने और 2025-26 के लिए गन्ने की फेयर और रिम्युनरेटिव (सही और पारिश्रमिक संबंधी) कीमतें तय की गई। वैष्णव ने बताया कि जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है। इसे पूरा होने में कम से 2 साल लगेंगे। ऐसे में अगर सितंबर में भी जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई तो अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 1947 से जाति जनगणना नहीं की गई। मनमोहन सिंह की सरकार ने जाति जनगणना की बात कही थी। लेकिन वह भी नहीं करवा पाई। कांग्रेस ने जाति जनगणना की बात को केवल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है। 2021 में जनगणना को कोविड-19 महामारी के कारण टाल दिया गया था। जनगणना आमतौर पर हर 10 साल में की जाती है, लेकिन इस बार थोड़ी देरी हुई है। इसके साथ ही जनगणना का चक्र भी बदल गया है यानी अगली जनगणना 2035 में होगी।
बैठक में शिलॉन्ग से सिलचर (मेघालय-असम) हाईस्पीड कॉरिडोर बनाने का भी फैसला किया गया। फैसले के मुताबिक ये कॉरिडोर 166 किमी का और 6 लेन का रहेगा। इसमें 22 हजार 864 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं सरकार ने 2025-26 के लिए गन्ने की फेयर और रिम्युनरेटिव (सही और पारिश्रमिक संबंधी) कीमतें तय की हैं। इसमें गन्ने का मूल्य 355 रुपए क्विंटल तय किया गया है। ये मानक कीमत है, इससे नीचे के दाम पर गन्ना नहीं खरीदा जा सकेगा।