‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के 12 दिन पूरे, अभियान से जुड़े लाखों किसान

नई दिल्ली। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तेलंगाना में किसानों से संवाद किया। सबसे पहले वह तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के मनसनपल्ली गांव में किसानों से मिले। फिर रामचंद्रगुडा गांव जाकर किसान चौपाल में किसानों से मुलाकात की। केंद्रीय कृषि मंत्री को किसानों ने बताया कि वह विविधिकरण और एकीकृत खेती की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। एकीकृत खेती से उन्हें लाभ पहुंच रहा है और उनके उत्पादन और आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। किसान चौपाल के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मंगलपल्ली, इब्राहिमपट्टनम में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को संबोधित किया।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो कार्य मुझे सौंपा है उसे मैं निष्ठापूर्वक करने की कोशिश कर रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हुआ है, जिसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं उनका अभिनंदन करता हूं। इस दौरान उन्होंने बताया कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के 12 दिन पूरे हो गए हैं और इस अभियान से जुड़े लाखों किसान जुड़ चुके हैं।

शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की समृद्धि ही हमारा उद्देश्य है। विकसित भारत के लिए उन्नत खेती और समृद्ध किसान जरूरी है। आज भी आधी आबादी की आजीविका का स्रोत कृषि ही है। जीडीपी में आज भी कृषि की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। इस साल की चौथी तिमाही में कृषि की विकास दर 5.4 प्रतिशत है और यह हमारे किसान भाइयों-बहनों के कारण संभव हुआ है। हमारे किसानों ने मेहनत करके यह चमत्कार किया है। लेकिन हमें और आगे बढ़ना है। चार प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में प्रमुखता से कदम बढ़ाने होंगे। सबसे पहले हमें देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूती से काम करना है। देश में अन्न के भंडार भरे रहे इसका प्रयास होना चाहिए। मुझे खुशी है कि इस ओर हम अपेक्षित परिणाम हासिल कर रहे हैं। आप सबकी मेहनत से इस साल गेहूं, चावल और उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि हुई है। दूसरा, हमारे किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम मिले, इसके लिए प्रयास करने होंगे। तीसरा, देश की 145 करोड़ आबादी को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना होगा और चौथा, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना, इसकी उर्वरकता को बनाए रखना है ताकि भावी पीढ़ी के लिए भी कृषि की प्रासंगिकता बनी रहें।

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