सहकारिता वैश्विक सहयोग को नई ऊर्जा दे सकती है: पीएम

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत मंडपम में आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए भूटान के प्रधानमंत्री महामहिम दाशो शेरिंग तोबगे, फिजी के उप प्रधानमंत्री महामहिम मनोआ कामिकामिका, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारत में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक शोम्बी शार्प, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष एरियल ग्वार्को, विभिन्न विदेशी देशों के गणमान्य व्यक्तियों और अन्य महिलाओं एवं पुरुषों का आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 में स्वागत किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अभिनन्दन मात्र उनकी ओर से नहीं बल्कि हजारों किसानों, पशुपालकों, मछुआरों, 8 लाख से अधिक सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 करोड़ महिलाओं तथा सहकारिता के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़ने वाले युवाओं की ओर से किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन का वैश्विक सहकारी सम्मेलन आयोजित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इसलिये भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत में सहकारिता आंदोलन का विस्तार हो रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की सहकारी यात्रा के भविष्य को वैश्विक सहकारी सम्मेलन से आवश्यक अंतर्दृष्टि मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके बदले में वैश्विक सहकारी आंदोलन को भारत के सहकारिता के समृद्ध अनुभव से 21वीं सदी की नई भावना और नवीनतम उपकरण प्राप्त होंगे। श्री मोदी ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को धन्यवाद दिया।

नरेन्द्र मोदी ने देश की सदियों पुरानी संस्कृति पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया के लिए सहकारिता एक मॉडल है, लेकिन भारत के लिए यह संस्कृति का आधार है और जीवन पद्धति है। मोदी ने भारतीय धर्मग्रंथों में उल्लिखित व्याख्यानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमारे वेदों में कहा गया है, “हम सभी को एक साथ चलना चाहिए और एक स्वर में बोलना चाहिए, जबकि हमारे उपनिषद हमें शांतिपूर्वक रहने के लिए कहते हैं, हमें सह-अस्तित्व का महत्व सिखाते हैं, यह एक ऐसा भाव है, जो भारतीय परिवारों का भी अभिन्न अंग है और इसी तरह सहकारिता की उत्पत्ति का मूल भी यही है।”

मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा भी सहकारिता से ही मिली थी और इससे न केवल आर्थिक सशक्तिकरण हुआ बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों को एक सामाजिक मंच भी मिला। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज आंदोलन ने सामुदायिक भागीदारी को नई गति दी और खादी एवं ग्रामोद्योग की सहकारिताओं की मदद से एक नई क्रांति की शुरुआत की। मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज सहकारिता ने ही खादी एवं ग्रामोद्योग को प्रतिस्पर्धा में बड़े ब्रांडों से आगे निकलने में मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने दुग्ध सहकारी समितियों का उपयोग करके किसानों को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। मोदी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय का उत्पाद अमूल शीर्ष वैश्विक खाद्य ब्रांडों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता ने विचार से आंदोलन, आंदोलन से क्रांति और क्रांति से सशक्तिकरण तक का सफर तय किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम शासन को सहकारिता के साथ जोड़कर भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में 8 लाख सहकारी समितियां हैं, जिसका अर्थ है कि दुनिया की हर चौथी समिति भारत में है। मोदी ने कहा कि उनकी संख्या जितनी ही विविधतापूर्ण है, उतनी ही व्यापक भी है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सहकारी समितियां ग्रामीण भारत के लगभग 98 प्रतिशत हिस्से को कवर करती हैं। उन्होंने बताया कि करीब 30 करोड़ लोग, यानी हर पांच में से एक भारतीय सहकारी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।

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