बजट पर चर्चा : सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव ने किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा

धर्मेन्द्र यादव ने कहा, बजट है बड़ा है लेकिन किसानों के लिए निराशाजनक

किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा भी जोर—शोर से उठाया

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान किसानों के मुद्दों को जोर—शोर से उठाया। यादव ने कहा कि कहा जा रहा है कि यह अब तक का सबसे बड़ा बजट है। लेकिन जब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बजट पर नजर डाली जाती है तो बड़ी निराशा होती है। किसानों के इस्तेमाल की सभी वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए गए हैं। देश को 43 हजार मंडियों की जरूरत है, लेकिन देश में मंडियों की मौजूदा संख्या सिर्फ 7 हजार है। किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेने को मजबूर हैं।

धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि एनडीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में हर साल 10 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है और अब तक देश में एक लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। एक भी किसान परिवार को मुआवजा नहीं मिला है। देश में आपने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज माफ किए हैं। लेकिन जब किसानों के कर्ज माफ करने की बात आती है तो सरकार चुप्पी साध लेती है। सरकार ने किसानों के लिए यूरिया के एक बैग की कीमत ₹50 से घटाकर ₹40 कर दी थी, लेकिन सरकार ने जीएसटी के जरिए इसे वापस ले लिया है।

सरकार पर निशाना साधते हुए धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार एक हाथ से किसानों को ₹1 देती है और दूसरे हाथ से ₹10 ले लेती है। आज किसान इतने लाचार हैं कि वे खेती छोड़कर कोई और काम करने को तैयार हैं। देश में 50% से ज़्यादा किसान आज भी कर्ज में डूबे हुए हैं। 2019 में आपने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए ₹25 लाख करोड़ के निवेश का वादा किया था। वो वादा कहाँ गया? 2022 में आपने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण किया जा रहा है। उन निजी बैंकों से किसान न सिर्फ़ कर्ज से वंचित होंगे बल्कि उनका भविष्य ऐसा होगा कि उनकी ज़मीनें कुछ चुनिंदा बैंकों और उद्योगपतियों के हाथों में चली जाएँगी। जबकि देश का बजट बढ़ता है, किसानों का बजट कैसे कम हो गया? उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य बन गया है। पिछले आठ सालों में गन्ने के समर्थन मूल्य में सिर्फ़ ₹30 की वृद्धि हुई है। किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है। जब तक किसानों की उपज बाजार में नहीं बिक जाती, तब तक पूरा परिवार खेतों में ही रहता है, सर्दी, गर्मी, बारिश और तूफान जैसी कठोर परिस्थितियों को झेलता है। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। सरकार को किसानों के कल्याण के बारे में सोचना चाहिए। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह किसानों के कर्ज माफ करे।

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