किसान संगठनों ने कहा हम किसी पार्टी या उम्मीदवार का चुनाव में समर्थन नहीं करेंगे

जींद। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर उचाना में किसानों-मजदूरों की महापंचायत हुई जिसमें हजारों किसानों व मजदूरों ने भाग लिया। महापंचायत में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, अमरजीत सिंह मोहड़ी, लखविंदर सिंह औलख, जरनैल सिंह चहल, मंजीत राय, जसविंदर लोंगोवाल, क़ुर्बुरु शांताकुमार, हरपाल चौधरी, जसदेव सिंह आदि ने भाग लिया, मंच का संचालन होशियार सिंह खरल ने किया।

किसान नेताओं ने कहा कि हमारा आंदोलन सांसद या विधायक बनने या बनाने के लिए नहीं है बल्कि हमारा आंदोलन आने वाली पीढ़ियों के भविष्य व रोटी और बेटी के सम्मान को बचाने के लिए है। किसान नेताओं ने कहा कि वर्तमान सत्ता ने जो ज्यादतियां हमारे ऊपर करी हैं, वे हम कभी नहीं भूलेंगे और न ही आने वाली पीढ़ियों को भूलने देंगे। किसान नेताओं ने आगे कहा कि हम किसी भी पार्टी या उम्मीदवार का चुनाव में समर्थन नहीं करते, हमारी लड़ाई सरकार की गलत नीतियों से हैं और अंतिम सांस तक हम गलत नीतियों का विरोध करते रहेंगे। किसान नेताओं ने बताया कि विश्व व्यापार संगठन व विश्व बैंक से बन कर आने वाली नीतियों को भारतीय किसानों पर जबरदस्ती थोपने का काम मोदी सरकार कर रही है, उन नीतियों से खेती का विकास होने बजाय विनाश हो रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर अगली महापंचायत 22 सितम्बर को कुरुक्षेत्र के पिपली की अनाज मंडी में आयोजित करी जाएगी।

महापंचायत से पहले हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों को नोटिस जारी किए गए एवं टेंट व साउंड वालों को भी धमकाया गया व किसानों को टेंट व साउंड न उपलब्ध करने के लिए कहा गया, सुबह मंडी के गेट भी बंद कर दिए थे। किसान नेताओं ने कहा कि पीएम मोदी ने 2011 में MSP गारंटी कानून बनवाने के लिए डॉ मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। लेकिन 2014 में सत्ता में आने के बाद उन्हें 10 साल बीत गए हैं लेकिन अभी भी MSP गारंटी कानून नहीं बनाया गया, यह किसानों के साथ भाजपा की सबसे बड़ी वादाखिलाफी है। किसान नेताओं ने कहा कि सत्ता में बैठी पार्टी की किसान-विरोधी नीतियों के कारण 2020-21 के आंदोलन में 833 किसान शहीद हुए थे और इस आंदोलन में 33 किसान शहीद हो चुके हैं व 433 किसान घायल हो चुके हैं।

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