नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारत मंडपम में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB) के हीरक जयंती समारोह एवं ग्रामीण सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल और मुरलीधर मोहोल, और सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि किसी भी संस्था की हीरक जयंती के 2 प्रमुख उद्देश्य होते हैं – पहला, संस्था द्वारा 60 साल के अपने योगदान और उपलब्धियों को जनता के सामने रखना, दूसरा, अपनी गलतियों को देखकर उनमें सुधार करना। उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), ज़िला और राज्य सहकारी बैंक के त्रिस्तरीय ढांचे के बिना भारत की खेती, किसानों और गांवों द्वारा आज़ादी के 75 साल की यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करना असंभव था। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में लगभग 13 करोड़ किसानों को बिना किसी तकलीफ के लघु अवधि का कृषि ऋण मिलने की व्यवस्था ने पूरे देश के किसानों और कृषि क्षेत्र में नई जान डालने का काम किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ज़िलास्तरीय और राज्यस्तरीय बैंकों ने न सिर्फ लघु अवधि के कृषि ऋण की चिंता की, बल्कि सामूहिक खेती, जल प्रबंधन, खेती में काम आने वाली सारी सामग्री और व्यक्तिगत काम से लेकर गांव को मज़बूत करने के हर काम में प्राण फूंकने का काम भी ज़िलास्तरीय बैंक और PACS ने किया है जिसे राज्य सहकारीबैंकोंने आधार दिया है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भारत सहकार से समृद्धि और समृद्धि से संपूर्णता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सहकार से समृद्धि के मंत्र में ही सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का उद्देश्य भी समाहित है। उन्होंने कहा कि 2027 में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, जो सहकारिता क्षेत्र का भी एक लक्ष्य है। शाह ने कहा कि इसके साथ ही सहकारिता मंत्रालय का उद्देश्य है कि देश के 140 करोड़ लोगों के सुख की भी चिंता करें। उन्होंने कहा कि हम ऐसा आर्थिक विकास नहीं चाहते जिसमें देश प्रगति करे लेकिन देशवासी पिछड़ जाएं, हम समविकास चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश के अर्थतंत्र के विकास के साथ हमारे किसान, ग्रामीण, दलित, आदिवासी और महिलाओं का विकास भी बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने ग्रामीण स्वराज और रामराज्य की कल्पना हमारे सामने रखी और इसे चरितार्थ करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का तीसरा कार्यकाल सहकारिता क्षेत्र के साथ जुड़े सभी लोगों के लिए MOMENT है और यहीं से हमें आगे बढ़ना है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में 2 बाधाएं हैं – सीमलैस कानूनी ढांचे के तहत समानता का व्यवहार न मिलना और पिछले 75 साल में आई बुराइयों को ढूंढकर उन्हें दूर करना। उन्होंने कहा कि अगर हम इन दोनों बाधाओं को दूर कर लेते हैं तो अगले 5 साल सहकारिता क्षेत्र के लिए defining moment साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के सहकारिता क्षेत्र में विश्वभर की सहकारिता क्षेत्र का मार्गदर्शन करने की क्षमता है।