नई दिल्ली। जैविक भारत के तत्वाधान में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी. डी. देशमुख ऑडिटोरियम में न्यायमूर्ति डी. एस. तेवतिया के सम्मान में एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमे कई मशहूर हस्तियों को सम्मानित किया गया। न्यायमूर्ति तेवतिया ने पंजाब, हरियाणा तथा कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। वे बेहद ईमानदार एवं सिद्धांतवादी व्यक्ति रहे जिन्होंने न्याय के मार्ग में बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करने के लिए सेवानिवृत्ति से चार साल पहले ही इस्तीफा दे दिया था। न्यायमूर्ति तेवतिया जैविक भारत से आत्मीयता से जुड़े थे और उनसे जैविक भारत को सदैव प्रेरणा मिलती थी। उनका सपना था कि भारत देश अवधारणा के स्तर पर न्यायप्रिय तो हो ही साथ मे नागरिकों की शिक्षा और स्वास्थ्य का स्तर भी बेहतर हो इस कारण वे कृषि में जैविक को बढ़ावा देने के पक्षधर थे।
पुरस्कार विजेताओं में कार्यक्रम में राष्ट्र के विकास में उनके विशेष योगदानों को लेकर 11 प्रतिष्ठित नागरिकों और संगठनों को ‘न्यायमूर्ति तेवतिया स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इस वर्ष के प्रमुख पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में पर्यावरणविद् सुनीता नारायण, उद्योगपति रघु डालमिया, सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई और सामाजिक कार्यकर्ता वंदना शिवा जैसी शख्सियतें शामिल रहीं। गौरतलब है कि इस स्मृति कार्यक्रम ने न्यायमूर्ति तेवतिया के मूल्यों को सामाज में न्याय और समानता को बनाए रखने की सामूहिक प्रतिबद्धता को और भी मजबूत बनाया। कार्यक्रम की शुरुआत जैविक भारत मिशन के वास्तुकार एवं संयोजक राम कुमार अत्री के वक्तव्यों से हुई। उन्होंने न्यायमूर्ति तेवतिया के साथ अपने गहरे एवं भावनात्मक संबंधों को याद किया और वर्तमान समय में उनके आदर्शों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम में आए दिल्ली आईआईटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वरुण आर्य ने भारत में जैविक कृषि की जागरूकता में जैविक भारत के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने भूमि और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए टिकाऊ पद्धतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
न्यायमूर्ति तेवतिया की बेटियों– मधु और नीना ने भी कार्यक्रम में अपनी बहुमूल्य उपस्थिति से अपने पिता की कुछ खास यादों को साझा किया। उनके वक्तव्यों में न्यायमूर्ति तेवतिया की अडिग ईमानदारी की कई घटनाएं भी थीं जिनसे पता चलता है कि भारत की विधि-व्यवस्था को ईमानदार बनाए रखने में न्यायमूर्ति तेवतिया की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका थी। कार्यक्रम में ‘हमारे सपनों का भारत’ और ‘राष्ट्र निर्माण’ जैसे विषयों पर भी एक पैनल चर्चा रखी गई थी। ऐतिहासिक राजा टोडरमल परिवार के वंशज राजा नमित वर्मा ने मुगल साम्राज्य के राजस्व मॉडल की स्थापना में टोडरमल की भूमिका पर अपनी बात रखी। वहीं एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संस्थापक सदस्य मेजर जनरल अनिल वर्मा ने भारत में बढ़ती असमानता का विश्लेषण किया और तात्कालिक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यक्रम में न्यायमूर्ति तेवतिया की पुस्तकाकार जीवनी- ‘संत न्यायमूर्ति देबी सिंह तेवतिया’ का भी विमोचन हुआ। गौरतलब है कि अंग्रेजी और हिंदी दोनों संस्करणों में छपी इस पुस्तक के लेखक राम कुमार अत्री हैं।