नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट के सांसद अमोल रामसिंग कोल्हे ने संसद में बजट सत्र पर चर्चा के दौरान किसानों के बजट को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि देश की दो तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन बजट में कृषि के लिए आवंटन केवल 3.1 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधान में 23 प्रतिशत की कमी की गई है। जिससे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए कम और बीमा कंपनियों के लिए ज्यादा फायदेमंद नजर आ रही है।
उन्होंने कहा कि जब माननीय प्रधानमंत्री महाराष्ट्र आए थे, तब उन्होंने सोयाबीन किसानों के लिए 6,000 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य घोषित किया था, लेकिन बाद में इसके लिए केवल 4,800 रुपये का एमएसपी निर्धारित किया गया। मैं सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि कम से कम 15 से 20 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन डीओसी के निर्यात की अनुमति दी जाए। प्याज पर निर्यात प्रतिबंध हमेशा के लिए हटाया जाए और इस पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया जाए।
अमोल रामसिंग कोल्हे ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। एक तरफ तो वह कह रही है कि दालों में आत्मनिर्भर होना चाहिए और दूसरी तरफ 67 लाख मीट्रिक टन दालें पहले ही आयात की जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए कम और बीमा कंपनियों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है। इस साल बीमा कंपनियों को मिलने वाला प्रीमियम 10 हजार करोड़ रुपये है और नुकसान व मुआवजे का भुगतान सिर्फ 680 करोड़ रुपये है। महाराष्ट्र में हर दिन सात किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्या यह कृषि प्रधान देश के लिए सम्मानजनक बात है?
कोल्हे ने कहा कि अमेरिका में किसान प्रति हेक्टेयर 30 लाख क्विंटल सोयाबीन पैदा करते हैं। लेकिन हमारे देश के किसान प्रति हेक्टेयर सिर्फ 10 लाख क्विंटल सोयाबीन पैदा कर पाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका के किसानों को आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयाबीन की खेती करने का अधिकार है, लेकिन हमारे किसानों को यह अधिकार नहीं है। अमेरिका अपने किसानों को सशक्त बना रहा है, जबकि हमारे देश के किसान अभी भी एमएसपी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मैं सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि वह हमारे देश के किसानों को पर्याप्त पानी, गुणवत्ता वाले बीज, उनकी उपज के लिए उचित मूल्य और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करे।