मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंबेडकर पार्क तुलसी नगर में 15 हजार से अधिक संख्या में पूरे प्रदेश भर से सरपंच गण आंदोलन में शामिल हुए। आयोजित आंदोलन में प्रदेश के पंचायत एव ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल एवं पंचायत एव ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह को मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। श्री पटेल से सरपंचों को आशा थी कि मंच के माध्यम से ज्ञापन में मौजूद मागों से कुछ बिंदुओं की घोषणा
करेंगे लेकिन उन्होंने कोई घोषणा नही की जिससे आंदोलित सरपंच नराजगी जताते हुए मुख्य मंत्री निवास का घेराव करने निकल पड़े, लेकिन भोपाल पुलिस बैरिगेट के माध्यम से सरपंचों को रोकने में सफल रही। इसी बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी समर्थन देने पहुंचे और भाजपा सरकार के नीतियों का विरोध किया है। सरपंचों को आंदोलित देख प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टर के माध्यम से सयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों से चर्चा की और विष्वास दिलाया कि 15 दिवस में सरपंचों की मांग को पूर्ण किया जाएगा। तब सयुक्त मोर्चा में शामिल मध्य प्रदेश राज्य पंचायत परिषद प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह सेंगर अखिल भारतीय पंचायत परिषद के राष्ट्रीय सचिव महेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजबीर सिंह और सरपंच उपसरपंच एवं पंच महासंघ प्रदेश अध्यक्ष राम प्रसाद चौधरी ने सहमति जताई और धरना प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा की। वही तीनों मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सहयोग के लिए सरपंचों और जिला प्रशासन धन्यवाद ज्ञापित किया।
डॉ. मोहन यादव मुख्य मंत्री, मध्य प्रदेश शासन भोपाल के नाम 28 सूत्री ज्ञापन में कहा गया कि माननीय, मुख्यमंत्री महोदय, पंचायत में सरपंचों को पद ग्रहण किए हुए दो साल होने जा रहा है लेकिन सरपंच गण कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सरपंचों में गांव विकास कार्य को लेकर काफी उत्साह है एवं जनता को भी सरपंचों से काफी अपेक्षा है। लेकिन राशि का अभाव एवं अन्य विसंगतियों के कारण सरपंच गण ठगा से महसूस कर रहे हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश राज्य पंचायत परिषद संबद्ध अखिल भारतीय पंचायत परिषद दिल्ली राष्ट्रीय सरपंच संघ मध्य प्रदेश एवं सरपंच उपसरपंच एवं पंच महासंघ मध्य प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में 28 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया हैं, जो निम्न प्रकार हैंः-
- पत्र क्रमांक-2258/डळछत् म्ळै. डच्ध्छत्.3ध्ज्मबी.ध्2024 भोपाल, दिनांक 01.07.2024 को मनरेगा में जो आदेश पंचायत ग्रामीण विकास मध्य प्रदेश द्वारा जारी किया गया है, उसको तत्काल निरस्त किया जाए तथा पूर्व की भांति मनरेगा का संचालन सुचारू रूप से चालू किया जाए।
- मध्य प्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज 1993-94 को पुनः लागू किया जाए।
- मनरेगा के भुगतान हेतु डीएससी के अधिकार जनपद स्तर की जगह ग्राम पंचायत को प्रदाय किए जाए।
- 20 काम की मनरेगा में बाध्यता खत्म की जाए।
- मनरेगा में मजदूरों का भुगतान एक सप्ताह के अंदर और सामग्री का भुगतान 15 दिन के अंदर किया जाए।
- पंचायत में 5वीं वित्त स्टॉप ड्यूटी से प्रत्येक पंचायत में कम से कम 25 लाख की राशि प्रत्येक वर्ष प्रदान की जाए।
- जो राशि पेयजल कुओं में दी जाती है वही राशि कपिल धारा कुओं में दी जाए, विसंगति को दूर किया जाय, जिससे किसानो को लाभ मिल सकें।
- एस्टीमेट हिंदी में उपलब्ध हो एवं आवश्यकता अनुसार तत्काल एस्टीमेंट एवं तकनीकी स्वीकृति उपलब्ध कराई जाए।
- किसान की भूमि पंचायत में है इस पंचायत को कपिल धारा कुआँ खोदने का अधिकार प्रदान हो वर्तमान में जहाँ किसान का जॉब कार्ड है वही कपिलधारा कुआं खोदा जा सकता है मगर जमीन दूसरी पंचायत में होती है तब समस्या पैदा हो जाती है इस प्रावधान को समाप्त किया जाए।
- पंचायत के निर्माण कार्य हेतु बजरी, पत्थर, गिटी, मुरम उठाने की छूट प्रदान की जाए जैसे पंचायतीराज में व्यवस्था है अन्य विभागो का हस्तक्षेप खत्म किया जाए।
- मध्य प्रदेश शासन द्वारा ग्राम पंचायतों को 25 लाख रूपये के अधिकारी दिये गये लेकिन तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर में परेशानी होती इसलिए इसे जनपद पंचायत स्तर पर ही किया जावे और प्रशासनिक स्वीकृति का सरलीकरण किया जाये तथा 25 लाख तक के प्रशासकीय स्वीकृति के अधिकार कागजों तक सीमित हैं, उसको तत्काल लागू किया जाए।
- ग्रामीणों की अर्थ व्यवस्था कृषि के रोजगार के नये अवसर निर्मित करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो खेत सड़क एवं सुदूर सड़क योजना चालू की जाए।
- ग्राम पंचायत विकास निधि गठित कर सरपंच निधि बनाई जाए एवं 2 लाख रूपये प्रतिवर्ष सरपंचों को निधि के रूप में प्रदाय किए जाए।
- पैसा एक्ट के लागू होने से ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभाओं में टकराव न हो इसकी समीक्षा एवं निदान हो।
- सरकारी कर्मचारियों की तरह सरपंचों एवं पचों का 20 लाख रू. का जीवन बीमा की व्यवस्था की जावे एवं न्यूनतम पेंशन 2 हजार रू. की जावे।
- 15 वित्त व 5वें वित्त राशि की डीपीआर एक बार बनाकर ऑनलाईन होने पर उसको टी.एस. माना जावे जिससे बार बार टी.एस. के नाम पर कमीशन नहीं देना पड़े और उपयंत्रियों की परेशानी से सरपंच बच सके इसलिए मूल्यांकन सरपंच, सचिव, वार्ड पंच व चार अन्य पंचों के हस्ताक्षर से मूल्यांकन करवा लिया जाए।
- टाइड, अनटाइड व्यवस्था समाप्त करने के लिये राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकर को प्रस्ताव भेजे।
- मनरेगा में मजदूरी 4 सौ रुपये की जाए।
- ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 को बंद किया जाए एवं सरपंचों को हटाने का अधिकार खाली कुर्सी एवं भरी कुर्सी के आधार पर किया जाए, सरपंच जनता के द्वारा
चुना हुआ प्रतिनिधि है, पंचों को हटाने का अधिकार खत्म किया जाए।
- ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 22 के अंतर्गत जनपद पंचायतों में बैठक रोस्टर के हिसाब से सरपंचों को नही बुलाया जाता है इसके लिए सभी जनपदों को आदेश करने की व्यवस्था की जाय ।
- रोजगार सहायक, सचिव, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, पटवारी, आशा कार्यकर्ता, कृषि ग्रामीण विस्तार अधिकारी की सी.आर. लिखने का अधिकार सरपंच को होना चाहिए और उनका वेतन और अवकाश के अधिकार पूर्ण रूप से ग्राम पंचायत को दिये जाये जिसके कार्य सुचारू रूप से कर सके।
- सी.एम. हेल्पलाईन (181) पंचायतों के विकास में बाधक न हो। यदि पंचायत की शिकायत होती है तो पंचायत स्तर पर ही समाधान किया जाए एवं झूठी शिकायत करने पर शिकायतकर्ता पर एफ. आई.आर. दर्ज होनी चाहिए।
- प्रधानमंत्री आवास व लाडली बहना आवास का बजट शीघ्र जारी किया जाए एवं सरपंचों के परिवार को लाड़ली बहना योजना में सम्मिलित किया जाए। 20 प्रतिशत आवास स्वीकृत करने का अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए।
- सरपंच का मानदेय 20 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जावे।
- संयुक्त मोर्चा सरपंच संगठन के जिला अध्यक्षों व ब्लॉक अध्यक्षों के साथ प्रतिमाह एक बार जिला कलेक्टर व जिला सी.ई.ओ. के साथ बैठक अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
- प्रत्येक जनपद स्तर पर सरपंचों के बैठने के लिए व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- सांसद एवं विधायक को जो अधिकार प्रतिनिधि भेजने का है वह सरपंच को भी दिया जाए एवं सभी सरपंचों के मध्यप्रदेश शासन द्वारा परिचय पत्र जारी किए जाए।
- पंचायत के निर्माण कार्यों में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण रहता है, उसे तत्काल हटाया जाए।
मांगपत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं के संयुक्त मोर्चे में मध्यप्रदेश राज्य पंचायत परिषद संबद्ध अखिल भारतीय पंचायत परिषद प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह सेंगर, राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय पंचायत परिषद दिल्ली महेन्द्र सिंह बुन्देला, राष्ट्रीय सरपंच संघ प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह, एवं सरपंच उपसरपंच एवं पंच महासंघ प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश राम प्रसाद चौधरी, संगठन महामंत्री सरपंच महासंघ मधुसुदन पाटीदार शामिल है।