गांधीजी के दर्शन को अपने जीवन में और आगे ले जाएंगे— गजेंद्र सिंह शेखावत

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली के राजघाट में गांधी दर्शन में महात्मा गांधी को समर्पित एक विशेष रेलवे कोच का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गांधी जी के जीवन में बदलाव लाने वाली घटना से संबंधित यह रेल कोच, गांधी जी के दर्शन को व्यावहारिक रूप से समझाने के उद्देश्य से पुनर्निमित किया गया है। यह उद्घाटन महात्मा गांधी की यात्रा और उनकी स्थायी विरासत को याद करने का एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि हम सभी को यह संकल्प लेकर आगे बढ़ना होगा कि हम गांधी जी के दर्शन को अपने जीवन में आगे ले जाएंगे।

रेल मंत्रालय द्वारा उदारतापूर्वक दान की गई इन अनूठी वस्तुओं में सावधानीपूर्वक जीर्णोद्धार किया गया महात्मा गांधी के युग का एक रेल कोच शामिल है। यह उनकी प्रसिद्ध रेल यात्राओं का प्रतीक है, जो राष्ट्र को एकजुट करने और न्याय एवं समानता की हिमायत करने के उनके मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। गांधी दर्शन में यह रेल कोच गांधी जी की यात्राओं और उनके साथी यात्रियों के साथ वार्तालाप को दर्शाने वाले चित्रों से समृद्ध है, जो आगंतुकों के लिए महात्मा गांधी की रेल यात्राओं का जीवंत अनुभव प्रदान करता है। यह प्रदर्शनी संग्रहालय का मुख्य आकर्षण बन रही है।

महात्मा गांधी की तीसरी श्रेणी के रेल के डिब्बों में भारतीय उपमहाद्वीप में की गई शुरुआती यात्राएं भारत के बारे में उनकी समझ और एकजुट राष्ट्र के उनके दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण थीं। इन यात्राओं ने गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें सभी क्षेत्रों के लोगों से जुड़ने, उनके संघर्षों को समझने और सत्य, अहिंसा एवं सामाजिक न्याय के दर्शन को विकसित करने में मदद मिली। इनसे उन्होंने सामूहिक शक्ति के महत्व, और उत्पीड़न के खिलाफ़ लड़ाई में राष्ट्र को एकजुट करने की आवश्यकता को रेखांकित करने के अवसर मिले। इस प्रकार रेलवे एकीकृत, समावेशी भारत के ताने-बाने को बुनने के उनके मिशन में महत्वपूर्ण माध्यम बन गया। महात्मा गांधी के भारतीय रेलवे के साथ संबंधों ने उनकी विचार प्रक्रिया और सामाजिक परिवर्तन के मिशन को किस तरह गहराई से प्रभावित किया, इस पर विचार करते हुए गांधी दर्शन के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि “गांधी के लिए रेलवे केवल परिवहन का साधन नहीं था, बल्कि यह भारत को उसकी संपूर्णता में समझने का एक माध्यम था।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *